Considerations To Know About sidh kunjika
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श्री अन्नपूर्णा अष्टोत्तरशत नाम्स्तोत्रम्
धिजाग्रं धिजाग्रं त्रोटय त्रोटय दीप्तं कुरु कुरु स्वाहा ॥ १२ ॥
देवी माहात्म्यं दुर्गा सप्तशति द्वितीयोऽध्यायः
जाग्रतं हि महादेवि जपं सिद्धं कुरुष्व मे।
शृणु देवि प्रवक्ष्यामि कुंजिकास्तोत्रमुत्तमम् ।
देवी वैभवाश्चर्य अष्टोत्तर शत नाम स्तोत्रम्
देवी वैभवाश्चर्य अष्टोत्तर शत नाम स्तोत्रम्
सिद्ध कुंजिका स्तोत्र का पाठ करने से विपदाएं स्वत: ही दूर हो जाती हैं और समस्त कष्ट से मुक्ति मिलती है। यह सिद्ध click here स्त्रोत है और इसे करने से दुर्गासप्तशती पढ़ने के समान पुण्य मिलता है।
देवी वैभवाश्चर्य अष्टोत्तर शत नाम स्तोत्रम्
दकारादि श्री दुर्गा सहस्र नाम स्तोत्रम्
मारणं मोहनं वश्यं स्तम्भनोच्चाटनादिकम्।
जाग्रतं हि महादेवि जपं सिद्धं कुरुष्व मे।
दकारादि दुर्गा अष्टोत्तर शत नामावलि
इति श्रीरुद्रयामले गौरीतन्त्रे शिवपार्वतीसंवादे सिद्ध कुंजिका स्तोत्र